मोहब्बत भरी आँखों की शायरी का खजाना

मोहब्बत भरी आँखों की शायरी का जादू

शब्दों में बसी आँखों की बातें

मोहब्बत भरी आँखों की शायरी का जादू अद्भुत होता है। यह शब्दों के माध्यम से उन भावनाओं को प्रकट करती है जो आँखों के जरिए हमारे दिल तक पहुंचती हैं। शायरी में जब आँखों का जिक्र आता है, तो यह दिल को छू जाती है और एक गहरा असर छोड़ती है।

मोहब्बत भरी आँखों की शायरी का खजाना
मोहब्बत भरी आँखों की शायरी का खजाना

तेरी आँखों की गहराई में समाते जा रहे हैं, अब हम तुम्हारे होते जा रहे हैं।

♥♥⇔♥♥मोहब्बत भरी आँखों की शायरी ♥♥⇔♥♥

मेरी आंखें नींद में नहीं जाती, अब इसके गुनहगार तेरी आंखें हैं।

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अकसर मेरे ख्वाब भीग जाते है, जब उसकी आँखों से आँसूं निकलते है।

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आँखें बहुत राज़ बतलाती है, बस पढ़ने आनी चाहिए।

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खूबसूरती सूरत में नहीं होती है, देखने वालों की आँखों में होती है।

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हर सुबह इन आँखों को तुम्हारा दीदार होता है,

और अब दुनिया में किसी और का दीदार नहीं करना।

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आँखे बताती है की किस दर्द से गुज़रा है ये शख्स।

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कुछ शिकायतें उनकी आँखों से,

वरना मैं इस कदर इस दुनियां में पागल ना होता।

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मैं सरे बाजार उनसे चेहरा छिपा कर गुज़र रही थी,

आँखो ने मुझे बेनकाब कर दिया।

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मैने सोचा बिन बताए अब उन्हे बताने कि कोशिश करूंगी,

उन्होंने मेरे बिना कुछ करे आँखो से सब समझ लिया।

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मेरी मोहब्बत में किसी का सबसे ज्यादा नाम हुआ है वो है आंखें।

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मैं यूँही मयखाने में जाता रहा नशा ढूंढ़ने,

मुझे तेरी आँखो कातो याद हीनहीं आया।

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झील सी है ये तेरी आंखें, हर बार देख कर डूब जाता हूं इनमे।

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मुझे अपना बना लेती हैं ये तेरी आंखें,

ये बड़ी चोर हैं मुझे चुरा लेती हैं ये तेरी आंखें।

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“आँखों में अपने सपने संजोए, आप ज़िंदगी के राह पर चलते नजर आएंगे।”

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“है कैसा ये नशा की आँखों में तुम बसे हो,

और हर पल ये नज़रे तुम्हें ही ढूंढती है।”

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“आँख से अँधा होना अक्ल से अँधा होने से ज्यादा बेहतर है।”

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“यूँ ही मुझे इश्क़ की आहट मिली ना थी, नज़रों ने तेरी इशारे तो दिये ही थे।”

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“आँखों में ख्वाब अब तक सजा रखा है, के तेरी आँखों में चेहरा सिर्फ मेरा बसा हो।”

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“आँखों में अपने समंदर समेटा हूँ, ऐ ज़ालिम तू मेरे ज़ख्मों को मत खुरेद।”

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“तुमसे नज़रें क्या मिली, तीर दिल के पार चली गई।”

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“आँखें तुम्हारी आज भी गुमराह कर जाती है,

कोसना चाहता हूँ जबरन तुम्हें बेवफा कह कर।”

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“अब तुम्हारी आँखों की खूबसूरती का क्या कहूं,

अँधेरी रात में दो-दो चाँद खिला हो जैसे।”

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“तुमने होठों पर छुपाये रखा, मैंने आँखों से सारी बात पढ़ ली।”

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“जब दिल खामोश हो जाते है, तब आँखों से ही बातें होती है।”

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“जो ज़ुबान से हमारी बात नहीं समझते, वो आँखों से क्या समझेंगे।”

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“इश्क़ आँखों से की जाती है, बातों में क्या रखा है।”

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“झूठ बोला जा सकता है, लेकिन आँखों से छुपाया नहीं जा सकता।”

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“कुछ बात है की आँखें चुरा रहे हो, बेवफा हो के किसी और से वफ़ा निभा रहे हो।”

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“इश्क़ में अक्सर आँखों ही आँखों से बात होती है।”

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“आँखें इंसान के मन का आईना होता है।”

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“क्या खूब तुमने इश्क़ छुपाया मुझसे,

होठों से कुछ नहीं और आँखों से सब बयाँ कर दिया।”

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“आँखों ही आँखों में तुमने क्या कह डाला,

वक्त थम गया दिल ठहर सा गया।”

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 “हम ना आँख झुका कर ना आँख दिखा कर,

हम आँख मिला कर बात करते है।”

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“इश्क़ की शुरुआत आँखों से ही होती है।”

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“गवाह है तेरी नजरें तेरी मुहब्बत का, तू लाख चाहे होठों से इंकार कर।”

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“अदालत में झूठ हर बार पकड़ा जाता, अगर गवाही मुंह के बदले आँखों से दी जाती।”

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“आँखें देखते हो, कभी नज़रिया भी देख लिया करो।”

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“आँखों की बातें आँखों से समझ लेते है, जो प्यार करते है वो हद से गुजर जाते है।”

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“हम अपनी आँखों को भूल सकते है, लेकिन उनकी आँखों को नहीं भुला सकते।”

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“कुछ जादू है उनकी आँखों में, इशारों से घायल हजारों हो जाते है।”

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“मैं तुम्हें भूल सकता हूँ, तुम्हारी आँखों को नहीं।

तुम मुझ से दूर जा सकते हो, मेरी यादों से नहीं।”

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“आईना आंखों के राज़ बयां करता है, जाने क्यों किसी अपने के दिए ज़ख्म बयां करता है।”

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“शर्मिंदा हो जाती है अक्सर वो आँखें। जिनमे हया छुपी होती है।”

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आंख मेरी भरी-भरी सी रहती है, अब ये तुझे याद करना जो बन्द कर चुकी है।

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रह लेते हम तेरे बिना गर ये तेरी आंखें मुझे प्यार करना न सिखाती।

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सब बयां कर दिया तुमने बिना कुछ कहे, ये तुम्हारी आँखो का ही कमाल है।

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आज का दिन बड़ा सुकून भरा सा है, लगता है अब तेरी आंखें मेरे दीदार को नहीं तरसती।

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सब सो चुके हैं अब अपनी आँखो को भी कहो थोड़ा आराम कर लें।

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आंखें तेरी सब बया कर रही क्या है तेरा मुझसे वास्ता।

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तेरी आँखो का कसूर था जो मैं तेरा हुआ, वरना मैं तो सिर्फ़ अपना था।

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मेरी आंखें तेरी आँखो से मिलती जा रही,

समझ में नहीं आ रहा की इसमे कसूर किसका ज्यादा है।

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अजब किस्सा है इन तेरी नजरों का,

हर बार मुझपे वार कर के चली जाती हैं।

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असल इश्क़ तो तेरे आँखो से हुआ मुझे और तो बस यूँही था।

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एक बार गलती से देख लिया था तेरी आँखों को, अब तक होश में नहीं हूं।

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शबनमी आंखें हैं उसकी, हर बार मुझे दीवाना बना देती हैं।

 

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