“हैजा (Cholera): लक्षण, कारण और उपचार”

हैजा (Cholera): लक्षण, कारण और उपचार

हैजा के कारण

हैजा (Cholera) एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जो साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। यह बैक्टीरिया दूषित भोजन या पानी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और आंतों में संक्रमण पैदा करता है। “यह रोग छूत की बीमारियों में भी गिना जाता है तथा संक्रामक रूप में सामूहिक रूप से भी फैलता है। मौसम परिवर्तन का समय तथा भीड़भाड़ । इस रोग को फैलाने में सहायक बनते हैं। एलोपैथी के मतानुसार यह बीमारी एक प्रकार के सूक्ष्म कीटाणुओं द्वारा फैलती है। ये कीटाणु जिस स्थान अथवा जलाशय आदि में उत्पन्न होते हैं, वहां के समीपवर्ती क्षेत्र में हैजा की बीमारी फैला देते हैं।

हैजा (Cholera): लक्षण, कारण और उपचार
हैजा (Cholera): लक्षण, कारण और उपचार

हैजा के लक्षण

हैजा के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 1 से 5 दिनों के भीतर दिखाई देते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • तीव्र दस्त
  • उल्टी
  • पेट में दर्द
  • सिरदर्द
  • मांसपेशियों में दर्द
  • कमजोरी

हैजे की बीमारी  के लिये  निम्नलिखित नुस्खों से लाभ मिल सकती हैं:-

1. बेल का गूदा, सोंठ तथा जायफल इन तीनों को सम भाग लें, काढ़ा बनाकर पिलाने से हैजा में लाभ होता है।

2. पोदीना को पत्ती 30 नग, काली मिर्च के दाने 3 नग, काला नमक 1 माशा नी हुई छोटी इलायची 2 नग, कच्ची अथवा पक्की इमली 1 माशा-इन सबको पानी के साथ पीसकर चटनी-सी बनालें। यह चटनी हैजे के रोगी को चटने से पेट दर्द, वामन, दस्त तथा प्यास आदि विकार दूर हो जाते हैं।

3. सौंफ 1 तोला, पोदीना 8 माशा, लॉंग 4 दाने तथा गुलाब का गुलकन्द २ तोला-इन सबको औटाकर पिलाने से हैजे में लाभ होता है।

4. पानी अथवा गुलाबजल में पपीता घिसकर चटाने से हैजा दूर होता है।

5. करेले के रस में तैल मिलाकर पीने से हैजा नष्ट होता है।

6. बेलगिरी, सोंठ तथा जायफल-इन तीनों का काढ़ा पीने से हैजा दूर होता है।

7. नागरमोथा 1 तोला, हींग 6 माशा, कपूर 6 माशा तथा पीपल 6 माशा-इन सबको पानी में पीसकर चार-चार रत्ती की गोलियाँ बनाकर रख लें। हैजे की प्रारंभिक अवस्था में एक-एक घण्टे के अन्तर से एक-एक गोली खिलाने से निश्चित रूप से लाभ होता है।

8. आक की जड़, काली मिर्च तथा अकरकरा-इन्हें बराबर-बराबर लेकर, कूट- पीस छानकर खरल में भरें, फिर उसमें धतूरे की जड़ का रस डाल-डाल कर खूब घोटें। घुट जाने पर चने के बराबर की गोलियाँ बनाकर छाया में सुखाकर रख लें। हैजे में इन गोलियों को एक-एक या दो-दो घंटे के अन्तर से, पानी के साथ खिलाने से रोग नष्ट हो जाता है।

9. जौ का आटा तथा जवाखार-इन दोनों को छाछ में पीसकर, आग पर पकालें। इस लेप को गर्म-गर्म ही पेट पर लेप करने से हैजा रोगी का पेट दर्द दूर हो जाता है।

10. दालचीनी, तेजपात, रास्ना, अगर, सहंजना, कड़वा कूठ, बच तथा शतावर इन सब को समभाग नींबू के रस में महीन पीसकर हैजा रोगी के पेट पर लेप करने से शूल सहित हैजा नष्ट हो जाता है।

11. चिरचिटा (अपामार्ग) के पत्ते तथा काली मिर्च- दोनों को सम भाग लें, घोड़े की लार में पीसकर रोगी की आंखों में आंजने से विशूचिका रोग नष्ट हो जाता है।

12. जायफल का काढ़ा बनाकर थोड़ा-थोड़ा पिलाते रहने से हैजे की प्यास में कमी आ जाती है।

13. जायफल के टुकड़े को मुँह में रखकर सुपारी की भांति हर समय चूसते रहने से भी हैजा के रोगी की प्यास कम हो जाती है।

14. मोर के पंख के चंदोवे को जलाकर राख बना लें। इस 2 माशा राख में शहद तथा पीपल का चूर्ण मिलाकर चटाने से हैजे की वमन बन्द हो जाती है।

15. बड़ी इलायची, धान की खील, लौंग, पीली नागकेसर, मेहंदी, बेर की गुठली की गिरी, नागरमोथा तथा सफेद चंदन-इन सबको सम भाग लें, कूट-पीस छानकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण के एक भाग में पिसी हुई मिश्री मिला दें। इस चूर्ण को शहद के साथ चटाने से तीनों दोषों के कारण उत्पन्न भयंकर वमन भी दूर हो जाती है।

16. सोंठ और कायफल- दोनों को समभाग ले, महीन पीसकर छान लें। इस चूर्ण को हैजा रोगी के हाथ-पांवों पर मालिश करें तो ऐंठन दूर होकर गर्मी आ जाती है।

17. कड़वा कूठ और सेंधा नमक को कांजी तथा तिल के तेल में इकट्ठा पीसकर गर्म करें तथा हैजा-रोगी के हाथ-पांवों पर हल्की मालिश करें तो ऐंठन दूर हो जाती है।

18. कलमी शोरा और टेसू के फूल दोनों को 2-2 तोला लेकर पानी के साथ सिल – पर पीसकर लुगदी तय्यार करलें। इस लुगदी को हैजा रोगी के पेड़ पर रख दें तो बन्द पेशाब खुल जाता है। यदि आधा घंटे के भीतर पेशाब न हो तो इसी लेप को दुबारा लगाना चाहिए।

19. चूहे की मेंगनी में थोड़ा-सा कलमी शोरा मिलाकर पानी के साथ पीस कर लुगदी सी बनालें। इसको रोगी की नाभि के नीचे, पेदू पर गाड़ा गाढ़ा लेप करने से बन्द पेशाब निश्चित रूप से खुल जाता है।

20. केले की जड़ को पीसकर कपड़े में छानकर रस निकाल लें। इस रस को सुंघाने से हिचकी बन्द हो जाती हैं। 21. पिसी सोंठ को गुड़ में मिलाकर सुंघाने से हिचकी आनी बंद हो जाती हैं।

22. समन्दर फल तथा सोंठ को एकसाथ पीसकर रोगी के शरीर पर लेप करने से पसीना आना बन्द हो जाता है।

23. भुनी हुई सोंठ को पीस लें, फिर उसमें पिसा हुआ सेंधा नमक मिलाकर, सूखा चूर्ण ही रोगी के शरीर पर मलने से पसीना आना कम हो जाता है।

24. बाजरे के आटे में पिसी हुई सोंठ तथा पिसा हुआ सेंधा नमक मिलाकर मलने से पसीना आना कम हो जाता है। 25. गाय के गोबर का रस निचोड़ कर हैजा के रोगी को पिलाने से वमन आना बन्द हो जाता है।

26. आक की बिना खिली कली, काली मिर्च समभाग ले, पीसकर झरबेरी प्रमाण गोली बनाकर छाया में सुखा लें। आवश्यकता पड़ने पर 1 से 3 गोली तक सेवन करायें। यह विसूचिका तथा अजीर्ण का शमन करती हैं।

यहां दी गई औषधियों का सेवन करने से हैजे की बीमारी में लाभ हो सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इससे पहले एक चिकित्सक से सलाह लें और यह जांचें कि क्या इन औषधियों का सेवन उनके स्वास्थ्य स्थिति के लिए सुरक्षित और उपयुक्त है।

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