टूटे हुए दिलों पर मरहम लगानेवाले शेर

टूटे हुए दिलों पर मरहम लगानेवाले शेर

टूटे हुए दिलों पर मरहम लगानेवाले शेर :- दिल टूटने का दर्द एक ऐसी भावना है जिसे शायद शब्दों में बयां करना आसान नहीं है, लेकिन हमारे शायरों और कवियों ने इसे शेरों और ग़ज़लों के माध्यम से संजीदगी से व्यक्त किया है। जब दिल टूटता है, तो इंसान खुद को अकेला और कमजोर महसूस करता है, लेकिन ऐसे समय में शेर किसी मरहम की तरह काम करते हैं। ये शब्दों का जादू है जो दिल के गहरे घावों को भरने का काम करते हैं।

दिल टूटने का दर्द और उसका प्रभाव

दिल टूटना एक ऐसा अनुभव है जो हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी आता है। यह दिल की गहराइयों में उतरने वाला दर्द है जो हमें पूरी तरह से हिला कर रख देता है। इसका असर हमारी मानसिक और भावनात्मक स्थिति पर भी पड़ता है। टूटे दिल का दर्द हमारे अंदरूनी संतुलन को बिगाड़ देता है और हमें अकेला महसूस कराता है।

टूटे दिल को संभालना: शेर और ग़ज़लों का महत्व

जब हमें कोई अपना छोड़ कर चला जाता है या जब कोई ऐसा इंसान हमें दुख पहुंचाता है जिस पर हम बहुत भरोसा करते हैं, तो उस समय दिल को संभालना कठिन हो जाता है। ऐसे समय में शेर और ग़ज़लें हमारे लिए ढाल का काम करती हैं। शेर अपने अंदरूनी दर्द को शब्दों में बयां करने का तरीका है और यह दिल को सुकून भी प्रदान करता है।

दिल को सुकून देनेवाले शेर

कुछ शेर ऐसे होते हैं जो हमारे दिल को सुकून देते हैं। जब हम उन्हें सुनते हैं या पढ़ते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे किसी ने हमारे दर्द को समझ लिया हो। जैसे:

टूटे हुए दिलों पर मरहम लगानेवाले शेर
टूटे हुए दिलों पर मरहम लगानेवाले शेर

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए

फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए

अहमद फ़राज़

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आँख से दूर हो दिल से उतर जाएगा

वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा

अहमद फ़राज़

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हो दूर इस तरह कि तिरा ग़म जुदा हो

पास तो यूँ कि जैसे कभी तू मिला हो

अहमद फ़राज़

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हमदर्दियाँ फिजूल हैं दिल टूटने के बाद
वो ख़ैरात दे रहे हैं हमें यूँ लूटने के बाद

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हमदर्दियाँ मुझे काटती हैं अब, 

यूँ खामखाँ मिज़ाज ना पूछा करे कोई

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 आदत के बाद दर्द भी देने लगा मज़ा
हँस हँस के आह आह किए जा रहा हूँ मैं
– जिगर मुरादाबादी

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अब मेरा दर्द मेरी जान हुआ जाता है
ऐ मेरे चारागरो अब मुझे अच्छा न करो
– शहज़ाद अहमद

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कुछ ना कुछ यहाँ छूट ही गया कुछ ना कुछ पाने के बाद
कौन कमबख़्त यहाँ ज़िन्दा रहा है दिल किसी से लगाने के बाद

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अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे
– शकील बदायुनी

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अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं
– जाँ निसार अख़्तर

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ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यूँ आज तेरे नाम पे रोना आया
– शकील बदायुनी

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इलाज-ए-दर्द-ए-दिल तुम से मसीहा हो नहीं सकता

तुम अच्छा कर नहीं सकते मैं अच्छा हो नहीं सकता

मुज़्तर ख़ैराबादी

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दिल सरापा दर्द था वो इब्तिदा-ए-इश्क़ थी

इंतिहा ये है कि ‘फ़ानी’ दर्द अब दिल हो गया

फ़ानी बदायुनी

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ये हमीं हैं कि तिरा दर्द छुपा कर दिल में

काम दुनिया के ब-दस्तूर किए जाते हैं

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कुछ दिन के बा’द उस से जुदा हो गए ‘मुनीर’

उस बेवफ़ा से अपनी तबीअत नहीं मिली

मुनीर नियाज़ी

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उस ने आवारा-मिज़ाजी को नया मोड़ दिया

पा-ब-ज़ंजीर किया और मुझे छोड़ दिया

जावेद सबा

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शौक़ चढ़ती धूप जाता वक़्त घटती छाँव है

बा-वफ़ा जो आज हैं कल बे-वफ़ा हो जाएँगे

आरज़ू लखनवी

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तिरे सुलूक का ग़म सुब्ह-ओ-शाम क्या करते

ज़रा सी बात पे जीना हराम क्या करते

रईस सिद्दीक़ी

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तेरे ही ग़म में मर गए सद-शुक्र

आख़िर इक दिन तो हम को मरना था

निज़ाम रामपुरी

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बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता
– निदा फ़ाज़ली

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बीमार-ए-ग़म की चारागरी कुछ ज़रूर है
वो दर्द दिल में दे कि मसीहा कहें जिसे
– आसी ग़ाज़ीपुरी

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दर्द बढ़ कर दवा न हो जाए
ज़िंदगी बे-मज़ा न हो जाए
– अलीम अख़्तर

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दर्द ओ ग़म दिल की तबीअत बन गए
अब यहाँ आराम ही आराम है
– जिगर मुरादाबादी

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दिल सरापा दर्द था वो इब्तिदा-ए-इश्क़ थी
इंतिहा ये है कि ‘फ़ानी’ दर्द अब दिल हो गया
– फ़ानी बदायुनी

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ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता

एक ही शख़्स था जहान में क्या

जौन एलिया

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हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद

जो नहीं जानते वफ़ा क्या है

मिर्ज़ा ग़ालिब

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दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद

महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी

नासिर काज़मी

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वो टूटते हुए रिश्तों का हुस्न-ए-आख़िर था

कि चुप सी लग गई दोनों को बात करते हुए

राजेन्द्र मनचंदा बानी

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मुद्दत हुई इक शख़्स ने दिल तोड़ दिया था

इस वास्ते अपनों से मोहब्बत नहीं करते

साक़ी फ़ारुक़ी

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बद-क़िस्मती को ये भी गवारा हो सका

हम जिस पे मर मिटे वो हमारा हो सका

शकेब जलाली

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ज़माने भर के ग़म या इक तिरा ग़म

ये ग़म होगा तो कितने ग़म होंगे

हफ़ीज़ होशियारपुरी

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शेर कैसे दिल को मजबूती देते हैं

शेर दिल को मजबूती देने का भी काम करते हैं। वे हमें यह समझाते हैं कि जीवन में दर्द और कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन उनसे उबरना ही असली जीत है।

निष्कर्ष: शेरों का दिल पर सकारात्मक प्रभाव

शेरों का दिल पर सकारात्मक प्रभाव अवश्य होता है। वे न केवल हमारे दर्द को व्यक्त करते हैं, बल्कि हमें उससे उबरने की ताकत भी देते हैं। शेरों के माध्यम से हम अपने दिल के टूटे टुकड़ों को जोड़ सकते हैं और जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।

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